Green Bond

देश का पहला ग्रीन बांड बुधवार को जारी होगा। इसकी सफलता या असफलता बहुत हद तक यह तय करेगी कि देश वर्ष 2070 तक अपनीनेट जीरो लक्ष्य को हासिल करनेके लिए जरूरी वित्त सुविधाएं किस तरह से जुटाता है।

Green Bond
Green Bonds 2023

ग्रीन बांड 2023, Green Bonds,2023  

पहले चरण में आएंगे आठ हजार करोड़ के बांड,

देश का पहला ग्रीन बांड बुधवार को जारी होगा। इसकी सफलता या असफलता बहुत हद तक यह तय करेगी कि देश वर्ष 2070 तक अपनीनेट जीरो लक्ष्य को हासिल करनेके लिए जरूरी वित्त सुविधाएं किस तरह से जुटाता है। आरबीआइ दो चरणों में 16 हजार करोड़ रुपये के ग्रीन बांड्स (पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए वित्त सुविधा जुटाने वाला वित्तीय प्रपत्र) जारी करने वाला है, जिसमें पहले चरण में आठ हजार करोड़ रुपये के बांड जारी किए जाएंगे। सरकार की तरफ से गठित एक समिति यह तय करेगी कि इन बांड से हासिल राशि का इस्तेमाल किन परियोजनाओं में किया जाना है।आरबीआइ के साथ ही वित्त मंत्रालय भी इस निर्गम पर काफी पैनी नजर रखने वाला है। इसमें निवेश के प्रति घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों की रूचि और उनकी हो सकता है। साझेदारी के आधार पर आगे फैसले किए जाएंगे। जानकार मान रहे हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से आगामी बजट में पर्यावरण  को कम नुकसान पहुंचाने वाले या न पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं के वित्त पोषण से जुड़ी कुछ दूसरी महत्वपूर्ण घोषणाएं भी करेंगी। इसमें घरेलू संस्थागत निवेशकों, म्यूचुअल फंड्स के लिए ग्रीन बांड में निवेश करने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए भी कुछ घोषणाएं शामिल हो सकती हैं।

यह भी बताते चलें कि ग्रीन डालर बांड्स जारी करने की घोषणा भी वित्त मंत्री ने पिछले आम बजट में की थी। कुछ निजी एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो (पर्यावरण में कोई भी कार्बन उत्सर्जन नहीं)

विदेशी निवेशकों के लिए निवेश की कोई सीमा नहीं

पहले चरण में आठ हजार करोड़ रुपये के ग्रीन बाइस निर्गम को सफल बनाने के लिए वित्त मंत्रालय ने दिसंबर, 2022 में विदेशी निवेशकों के साथ खासतौर पर बैठक की थी। सोमवार को आरबीआइ ने बताया है कि विदेशी निवेशकों के लिए निवेश की कोई सीमा नहीं रखी गई है। जानकार मान रहे हैं कि हरित ईंधन परियोजनाओं को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए विदेशी निवेशकों के बीच काफी आकर्षण होगा। घरेलू निवेशकों के बारे में बताया जा रहा है कि उनके लिए अभी नियमों को लेकर बहुत ज्यादा स्पष्टीकरण नहीं होने से उनका उत्साह कुछ कम हो सकता है।

अभी से हर साल 9.2 लाख करोड़ खर्च करने की जरूरत

पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं को वित्त सुविधा मुहैया कराना अभी वैश्विक चर्चा का भी मुद्दा है। भारत की अगुआई में होने वाली जी-20 बैठक में भी इस बार यह एक अहम मुद्दा है। जी-20 के वित्त मंत्रालयों और केंद्रीय बैंकों के बीच अगले सात महीनों के दौरान चार चरणों में एक बैठक होने वाली है, जिसमें इस बारे में वैश्विक रणनीति बनाने की कोशिश होगी। वर्ल्ड एनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक इस श्रेणी की परियोजनाओं के लिए अभी से हर साल 9.2 लाख करोड़ डालर खर्च करने की जरूरत है। दूसरी तरफ अभी सिर्फ 3.5 लाख करोड़ डालर की राशि पूरी दुनिया में खर्च हो रही है।

सरकार द्वारा गठित समिति तय करेगी बांड से हासिल राशि का इस्तेमाल किन परियोजनाओं में

 वर्ष 2070 के नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए करना होगा 10 लाख करोड़ डालर का इंतजाम