महत्त्वपूर्ण वन्य जीव संरक्षण परियोजनाएँ
IMPORTANT WILDLIFE CONSERVATION PROJECT
जैव विविधता हॉट-स्पॉट (Bio-Diversity Hot Spot)
ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र, जहाँ स्थानीय प्रजातियों के कारण अत्यधिक विविधता एवं उत्पादकता पायी जाती है, जैव विविधता कहलाती है।
हॉटस्पॉट {HOTSPOT}
जैव विविधता हॉटस्पॉट वे क्षेत्र हैं, जहाँ जैव विविधता की प्रचुरता के साथ स्थानिक प्रजातियों की भी प्रचुरता पायी जाती है। हॉट-स्पॉट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम नार्मन मायर्स ने किया था।
ञ्श्वि में हॉट स्पॉट्स की संख्या 36 है। भारत में कुल 4 हॉटस्पॉट स्थित हैं- पश्चिमी घाट, इण्डो-बर्मा क्षेत्र, पूर्वी हिमालय तथा सुंडालैंड (निकोबार द्वीप समूह)
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पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र (Eco-Sensitive Zone)
संरक्षित क्षेत्र (जैसे- राष्ट्रीय पार्क वन्य जीव अभयारण्य) के चारों ओर 10 किमी, तक का अधिसूचित क्षेत्र पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र घोषित किये जाते हैं।
पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने का उद्देश्य, संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास की गतिविधियों को विनियमित करना तथा संभावित जोखिमों को कम करना है।
पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र शॉक एब्जार्बर का कार्य करते हैं।
महत्त्वपूर्ण वन्य जीव संरक्षण परियोजनाएँ
परियोजनाएँ
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प्रारम्भ वर्ष
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सम्बंधित तथ्य
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बाघ परियोजना
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1973
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इसका उद्देश्य बाघों की संख्या में कमी को रोकना तथा उनकी संख्या में वृद्धि करना है।
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गिद्ध संरक्षण परियोजना (Vulture Protection Project)
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2006
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तेजी से विलुप्त होते गिद्धों को बचाना। गिद्धों की मृत्यु का कारण पशुओं को दी जाने वाली डाइक्लोफेनेक (Diclofenac) नामक दर्द निवारक दवा है। अब यह प्रतिबंधित है।
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✓ गिर सिंह परियोजना (Gir Singh Project)
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1972
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गिर अभयारण्य में केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रारम्भ की गई। गुजरात के जूनागढ़ जिले के 1412 वर्ग किमी, क्षेत्र में स्थित यह उद्यान अब एकमात्र ऐसा उद्यान हैं, जहाँ एशियाई शेर पाये जाते हैं।
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हाथी परियोजना (Project Elephant)
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1992
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केन्द्र सरकार द्वारा 7 दिसम्बर, 1992 को झारखंड के सिंहभूम जिले से प्रारम्भ की गई। पारत के प्रमुख हाथी संरक्षित क्षेत्र hat 5 - पेरियार अभयारण्य (केरल) मानस अभयारण्य एवं काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) राजाजी राष्ट्रीय उद्यान एवं जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखण्ड)।
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कस्तूरी मृग परियोजना (Musk Deer Project)
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1974
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कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए IUCN के सहयोग से उत्तराखंड के केदारनाथ अभयारण्य से प्रारम्भ किया गया। कस्तूरी कंवल नर मृग में ही पायी जाती है। ये मृग हिमाचल प्रदेश की चम्बा घाटी में लेकर सिक्किम तक के हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
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लाल पांडा परियोजना (Red Panda Project)
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1996
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विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान से प्रारम्भ किया गया। लाल पांडा सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश (कैट बियर के नाम से प्रसिद्ध) तथा दार्जिलिंग के जंगलों में पाया जाता है।
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कछुआ संरक्षण परियोजना
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1975
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ओडिशा के भितरकणिका में पाया जाने वाला ऑलिव रिडले कछुआ (Olive Ridley) दक्षिणो अमेरिकी कछुए की एक प्रजाति
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गैंडा परियोजना (Project Rhinoceros)
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1987
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एक सीप वाला गैंडा केवल भारत में पाया जाता है। असम के मानस अभयारण्य काळीण गाव उद्यान तथा पश्चिम बंगाल का जलवापारा अभयारण्य इन गैंडों का मुख्य निवासस्था है।
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घड़ियाल प्रजनन परियोजना (Crocodile breeding Project)
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1975
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भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की सहायता में वर्ष 1975 में दि परियोजना को प्रारम्भ किया। इसी योजना का विस्तार कुकरैल (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) राजस्थान प महाराष्ट्र, अंडमान, असम, बिहार व नागालैण्ड में भी किया गया है।
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हंगुल परियोजना
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1970
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यह परियोजना कश्मीरी स्टैंग (हंगुल) के संरक्षण हेतु प्रारम्भ की गई थी।
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मगरमच्छ प्रजनन एवं संरक्षण परियोजना
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1974
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यह परियोजना मगरमच्छ प्रजनन, प्रबंधन व संरक्षण के लिए प्रारम्भ की गई थी। इसके केन्द्रीय मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई है।
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हिम तेंदुआ परियोजना
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2009
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यह परियोजना हिमालयी राज्यों में तेंदुआ संरक्षण के लिए प्रारम्भ की गई थी।
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